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सरस्वती वन्दना


षुक्लां ब्रह्मविचारसार परमामाद्यं जगद्व्यापिनीं
वीणा पुस्तक धारिणींऽभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिता ।
वन्दे तां परमेष्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां षारदाम् ।।

जिनका रूप ष्वेत है, जो ब्रहमविचार की परम तत्व हैं, सब संसार में फैल रही हैं, जो हाथों में पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं, मूर्खता रूपी अंधकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिक मणि की माला लिये रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान होती हैं, और बुद्धि देने वाली हैं, उन आद्या परमेष्वरी भगवती सरस्वती की मैं वन्दना करता हॅू।



पुस्तकालय:-


    आवेदन प्रस्तुत करने पर ही नियमानुसार पुस्तक निर्गमित की जावेगी। पुस्तकालय के नियम भंग होने पर विद्यार्थी दण्ड का भागी होगा, पुस्तकालय सम्बंधी निम्न नियम का विद्यार्थी विषेष ध्यान रखें -

  1. पुस्तकों को अच्छी हालत में लौटाना होगा, उन्हें गंदी या फटी हालत में लौटाने पर निर्धारित दण्ड का भुगतान करना होगा।

  2. दो पुस्तकें एक बार में एक विद्यार्थी को 20 दिन की अवधि के लिए निर्गमित की जावेगी।

  3. पुस्तकालय की पुस्तकंे प्रदŸा किये गये विद्यार्थी के अलावा अन्य व्यक्ति को हस्तांतरण सर्वथा वर्जित है।

  4. विषेष पिछड़ी जनजाति के विद्यार्थियों के लिए पूरे सत्र हेतु पुस्तकें निर्गमित की जा सकेंगी।